Activity

समिति की गतिविधिया

कृषि प्रषिक्षण

समिति के केन्द्र में प्रत्येक वर्ष किसानों के साथ जैविक कृषि ,वर्मी कम्पोस्ट ,नर्सरी , वृक्षारोपण का प्रषिक्षण व प्रायोगिक प्रषिक्षण दिया गया । जो अगले पेज में प्रषिक्षण चार्ट के रुप में दर्षाया गया है। समिति ने अपने कार्यकर्ता साथियों को इस दिषा में समझ बनाने के लिए दो एक्सपोजर कार्यक्रम भी आयोजित किए गए जिसमें राजस्थान एवं उत्तरप्रदेष के कई क्षेत्रों का भ्रमण किया गया। संस्था ने जब कृषि कार्य शुरू किया तब भूमि समतल तथा उर्वरक नहीं थी। भूमि सुधार का प्रयास किया गया तथा भूमि की उर्वरकता बढ़ाने की कोषिष की गई। मेड़बंदी करवाई गई, कम्पोस्ट खाद, वर्मी कल्चर का उपयोग करते हुए जैविक कृषि की गई। वर्ष 2008 से लगातार किसाानो को प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।

आपदा प्रबन्धन

आपदा प्रबन्धन के अन्तर्गत प्राकृतिक रूप से आने वाली विपत्तियों जैसे – सूखा, बाढ़, महामारी, भूकम्प आदि के समय लोगों को सहायता देने का कार्य किया जाता है। इस प्रबन्धन का आरम्भ 2010 में किया गया। इस वर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में भीषण बाढ़ आई जिसके कारण मानव जीवन तहस-नहस हो गया। संस्था ने खुलकर सहयोग किया। इस कार्य से प्रभावित होकर संस्था ने आपदा प्रबन्धन के कार्य को अपने कार्यक्रमों में सम्मिलित कर लिया।

वस्त्र वितरण

• काम के बदले कपड़ा, • स्कूल टू स्कूल कार्यक्रम, • विपत्ति आपदा प्रबन्धन, • महिलाओं के लिए विषेष नेपकीन किट उपलब्ध करवाना। संस्था विभिन्न क्षेत्रों में राहत कार्य कर रही है। काम के बदले कपड़ा कार्यक्रम के अन्तर्गत आदिवासी प्रधान क्षेत्रों में सफाई अभियान चलवाकर बदले में लोगों को कपड़ा दिया जाता है। संस्था दान या निःषुल्क कोई वस्तु नहीं देती ताकि लोगों का आत्मसम्मान सुरक्षित रहे। इसी प्रकार अन्य कार्य भी करवाए जाते हैं तथा बदले में वस्त्र दिए जाते हंै। गत वर्ष स्कूल चले कार्यक्रम के अन्तर्गत झुग्गी बस्तियों में कार्यक्रम आयोजित कर 2130 बच्चों कों कपड़े खिलौने तथा पाठ्य पुस्तकंे वितरित की गई। प्राकृतिक आपदाओं के समय प्रषासन की सहायता के लिए क्षेत्र का सर्वे कर शासकीय कार्यालयों को सूची भिजवाने का कार्य भी संस्था द्वारा किया जाता है।

स्कॉलरशिप

योजना के अन्तर्गत 2006 में संस्था नं तय किया कि महात्मा गाधी के विचारों के अनुरूप भारत के किसी भी राज्य का कोई भी व्यक्ति यदि जनहित में देष के अन्तिम आदमी के अधिकारों की रक्षा के लिए शांति और अहिंसा के मूल्य पर रचनात्मक कार्य करता है तो उसकी दैनिक आवष्यकताओं की पूर्ति के लिए अंतरिम राहत के रूप में स्काॅलरषिप दी जायंेगी। देष के विभिन्न राज्यो में रचनात्मक कार्य के लिए समर्पित स्त्री-पुरूषों को स्कालरषिप योजना का लाभ दिया जा रहा है। उनमें कुछ लोग षिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हुए है और इसी माध्यम से गाॅधी विचारों का प्रचार-प्रसार कर रहे हंै। अपने राज्य की कला और संस्कृति के विकास का कार्य भी कुछ लोगांे द्वारा किया जा रहा है। कलां मंच के माध्यम से नुक्कड़ नाटक तथा गीतों का आयोजन कर प्रचार-प्रसार का कार्य भी हो रहा है। सर्वोदय से जुड़े लोगों को भी योजना का लाभ दिया जा रहा है। अति वृद्ध गाँधीवादी वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को अंतरिम राहत के रूप में स्काॅलरषिप दी जा रही है। • ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे बच्चों का स्कूल संचालन । • महिलाओं के बीच काम करने वाले साथियों को । • सुदूर ग्रामीण अंचलों में बंचित समुदाय को संगठित करना । • स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहन देकर कला मण्डलियों का गठन करने वाले कलाकार साथियों को । • अहिंसात्मक आन्दोलन में लगे साथियों को ।

लोक कला मंच

मानव जीवन विकास समिति ने अपने उद्धेष्यों की पूर्ति के लिए स्थानीय लोक कला तथा संस्कृति को अपना आधार बनाया है। गीतों, नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से गाॅव-गाॅव में चेतना जाग्रत करने का प्रयास किया जा रहा है। स्थानीय बोली में परम्परागत गीत तथा नाटकों का आयोजन कर लोगों को संघर्ष के लिए गतिषील किया जाता है। आज तक प्रदेष के विभिन्न गावों में 110 ग्राम मण्डलियों का गठन किया जा चुका है। गीतों तथा नाटकों को संस्था के उद्धेष्यों से जोड़कर तैयार किया जाता है। शांति एवं अहिंसात्मक संघर्ष में गीत और नुक्कड नाटक अहम भूमिका निभाते है। इस बात का भी ध्यान रखा जाता है कि गीत, नाटक स्थानीय बोली में हों ताकि आदिवासियों तथा अन्य जातियों के लोगांे को समझने में असानी हो।

महिला मंच

महिलाओं के विकास को दृष्टि में रखकर महिला सषक्तिकरण का कार्य किया जा रहा है। गँाव-गँाव में महिला मण्डल बनाकर उन्ह आर्थिक रूप से सषक्त करने वाले कार्य समझाए जा रहे है जैसे- महिला स्व-सहायता समूह, बचत कोष, अन्न कोष आदि। षिक्षा के अभाव के कारण महिलाओं को शासन की नीतियों तथा योजनाओं का पूरा ज्ञान नहीं हैं। 2009-10 मेेें होने वाले पंचायती चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिषत आरक्षण प्राप्त था। पंचायत चुनाव के अवसर पर कार्यक्षेत्र के 07 ब्लाकों के अन्तर्गत आने वाले गँावों में 07 महिला प्रषिक्षण षिविर लगाए गए तथा चुनाव प्रक्रिया समझाने के साथ-साथ आपसी सहमति से निर्विरोध चुनाव पर विषेष जोर दिया गया जिसके परिणाम स्वरूप भादावर पंचायत के तीन गँावों में महिला सरपंच तथा 10 पंचों का निर्विरोध चुनाव हुआ। जिस प्रकार एक महिला घर को स्वर्ग या नर्क बनाने में अहम भूमिका निभाती हैं उसी प्रकार समाज में यदि वह आगे आकर कार्य करे तो समाज का विकास हो सकता हैं। महिला मंच के माध्यम से महिलाओं को सषक्त किया जा रहा हैं जिसके परिणाम संतोषजनक हैं। गांव गांव मे गाँधी विचार का फैलाव हो तथा लोग संगठित होकर अपनी समस्या समाधान की ओर जागृत होकर, खुद तैयार होकर शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ ले सकें तथा एक स्वच्छ समान निर्माण मे अपनी अहम भूमिका निभाएं इस हेतु नव जवान साथियों को प्रेरित करने के लिए समिति के अध्यक्ष श्री राजगोपाल पी0व्ही0 जी द्वारा युवा षिविरों का आयोजन किया जाता है।

ग्रामीण मुखिया प्रषिक्षण

सामुदायिक विकास के लिए 2008-09 में बुंदेलखण्ड के 8 जिलोें के 110 लोगों को मुखिया प्रषिक्षण दिया गया। गांधीवादी सिद्वान्तों पर चलकर आजीविका के साधन जल, जंगल और जमीन पर मालिकाना अधिकार प्राप्त करने के लिए भयमुक्त होना आवष्यक है। संस्था ने कार्यक्षेत्र के गँावों में अपने कार्य की शुरूआत मुखिया प्रषिक्षण से ही की थी। गँाव-गँाव में लोगों से सम्पर्क कर सामुदायिक विकास के लिए प्रषिक्षण षिविर लगाए गए। लोगों को संगठित कर समूह बनाये गए और कार्य करने के लिए पे्ररित किया गया क्यांेकि तभी भूखमुक्त समाज का गठन हो सकेगा।

स्वास्थ्य प्रबन्धन

क्षेत्र के लोंगो को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने की दृष्टि से संस्था ने 2 वैद्यों की व्यवस्था की है जो गाँव-गाँव घूमकर प्रतिदिन लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएॅ निःषुल्क उपलब्ध करवाते हैं। उपचार के लिए जड़ी बूटियों का उपयोग किया जाता है। कई असाध्य रोग भी उनके उपचार से ठीक हो गये हंै। क्षेत्र में श्वास तथा पेट सम्बन्धी षिकायतें अधिक है। षिक्षा के अभाव के कारण स्वास्थ्य सम्बन्धी चेतना का क्षेत्र में अभाव है। स्वास्थ्य प्रबन्धन कार्यक्रम के अन्तर्गत केवल मनुष्यों के स्वास्थ्य का ही नहीं वरन पषुओं के स्वास्थ्य की भी व्यवस्था की जाती है। गांव के लोग आज भी नहीं जानते कि पषु चिकित्सालय या पषुओं का डाॅक्टर भी होता है। फ्रांस से आए डाॅ0 रज्जाक ने क्षेत्र के गांवों के लोगों को संस्था के ट्रेनिंग सेंटर पर पषुओं के स्वास्थ्य के सम्बंध में प्रषिक्षण दिया।

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